Untitled Document
Untitled Document
Untitled Document
slide show img1 slide show img 2 slide show img 3 slide show img 4 slide show img 5 slide show img 6 slide show img 7 slide show img 8

पितृ दोष - नारायण नागबली विधी

narayan nagbali img

इस विधी का प्रमुख उद्देश है अपने अतृप्त पितरोंको तृप्त करके उन्हे सदगती दिलाना। क्योकी मरनेवालों की सभी इच्छाएँ पुरी नही हो सकती है। कुछ तीव्र इच्छाएँ मरने के बाद भी आत्मा का पिछा नही छोडती है। इस स्थिती में वायुरूप होने के पश्चात भी आत्मा पृथ्वीपर हि विचरण (भ्रमण) करती है। वास्तव में जीवात्मा सूर्य का अंश होता है। जो निसर्गत: मृत्यू के पश्चात सुर्यकी और आकर्षित होता है। जैसे पृथ्वी पर जल समुद्र की और आकर्षित होता है। किंतु वासना एवं इच्छाएँ आत्मा को इसी वातावरण में रहने के लिए मजबूर कर देती है। इस स्थिती में आत्मा को बहोत पीडाएँ होती है। और अपनी पिडाओंसे मुक्ती पाने के लिए वंशजो को सामने सांसरीक समस्या का निर्माण करता है। इन समस्याओं से मुक्ती पाने हेतु सामान्य इन्सान

पहले तो वैद्यकिय सहारा लेता है। यदी उसे समाधान नही मिलता तो ज्योतिष का आधार लेता है। क्योंकी कुंण्डली में कुछ ग्रह स्थितीयाँ एैसी होती है जिससे पितृदोष का अनुमान लगाया जा सकता है।

पितरों की संतुष्टी हेतु उनकी श्रध्दा से जो पुजा की जाती है उसी का श्राध्द कहते है। श्राध्द को उचित सामग्री, स्थान, मुहूर्त, शास्त्रसे किया जाए तो निश्चय ही फलदायी बनता है।

नारायण नागबली प्रमुख रुपसे तब करना चाहिए जब अपत्य हिनता, कष्टमय जीवन और दारिद्रय, शरीर के न छुटनेवाले विकार, भुतप्रेत, पिशाच्च्ाश बाधा, अपमृत्यू, अपघातों का सिलसिला, साथही मे पूर्वजन्म मे मिले शाप, पितृशाप, प्रेतशाप, मातृशाप, भातृशाप, पत्निशाप, मातूलशाप, आदी संकट मनुष्य के सामने निश्चल रूप में खडे हो। इन सभी संकटो से निश्चित रूप से मुक्ती पाने के लिये शास्त्रोक्त काम्य नारायण बली विधान है।

निम्नालिखीत कारणों के लिऐ भी नारायण नागबलि की जाती है।

red_btn संतती प्राप्तीर के लिए।

red_btn प्रेतयोनी से होनवाली पीडा दुर करने के लिए।

red_btn परिवार के किसी सदस्य के दुर्मरण के कारण इहलोक छोडना पडा हो उससे होन वाली पीडा के परिहारार्थ (दुर्मरण:याने बुरी तरह से आयी मौत ।अपघात,    आत्महत्या और अचानक पानी में डुब के मृत्यु होना इसे दुर्मरण कहते है)

red_btn प्रेतशाप और जारणमारण अभिचार योग के परिहारार्थ के लिऐ।

पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते है। ये कर्म किस प्रकार व कौन इन्हें कर सकता है, इसकी पूर्ण जानकारी होना अति आवश्यक है।

ये कर्म जिन जातकों के माता पिता जिवित हैं वे भी ये कर्म विधिवत सम्पन्न कर सकते है। यज्ञोपवीत धारण करने के बाद कुंवारा ब्राह्मण यह कर्म सम्पन्न करा सकता है। संतान प्राप्ती एवं वंशवृध्दि के लिए ये कर्म सपत्नीक करने चाहीए। यदि पत्नी जीवित न हो तो कुल के उध्दार के लिए पत्नी के बिना भी ये कर्म किये जा सकते है । यदि पत्नी गर्भवती हो तो गर्भ धारण से पाचवे महीने तक यह कर्म किया जा सकता है। घर मे कोई भी मांगलिक कार्य हो तो ये कर्म एक साल तक नही किये जाते है । माता या पिता की मृत्यु् होने पर भी एक साल तक ये कर्म करने निषिध्द माने गये है।

कृपया ध्यान दे

red_btn नारायण नागबली पूजा 3 दिनों की है जिसमे विधी करने वालोको 3 दिन त्र्यंबकेश्वर मे रुकना पडता है।

red_btn कृपया मुहर्त के एक दिन पहले या सुबह जल्दी 7 बजे तक त्र्यंबकेश्वर मे पहुचना पडता है

red_btn इस विधी की दक्षना मे सभी पूजा सामग्री और 2 व्यक्तियों के लिए भोजन कि व्यवस्था हमारे तरफ से होती है

red_btn कृपया आप के साथ नये सफेद कपड़े धोती, गमछा (नैपकिन), और आपकी पत्नी के लिये साड़ी, ब्लाउज जिसका रंग काला या हरा नही होना चाहीये।

red_btn इस विधी के लिए आपको एक 1.25 ग्राम सोने का और 8 चांदीके नाग लेके आना है।

red_btn विधी के चार दिन पहले कृपया लैंड लाइन फोन 02594 233118 करके हमे अवगत कराये।

 Untitled Document