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नारायण नागबली विधी

इस विधी का प्रमुख उद्देश है अपने

अतृप्त पितरोंको तृप्त करके उन्हे सदगती दिलाना। क्योकी मरनेवालों की सभी इच्छाएँ पुरी नही हो

क्रमशः

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त्रिपिंडी श्राद्ध विधी

त्रिपिंडी श्राध्द एक काम्य श्राध्द

है। यदि लगातार तीन साल पितरोंका श्राध्द न होनेसे पितरोंको प्रेतत्व आता है। वह दूर करनेके

क्रमशः

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कालसर्प शांती

इस संसार में जब कोई भी प्राणी

जिस पल मे जन्म लेता है, वह पल (समय) उस प्राणी के सारे जीवन के लिए अत्यन्त ही

क्रमशः

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क्या मह्त्व है की इन विधी (पितृदोष, त्रिपिंडी, कालसर्प) त्रिंबकेश्वर मे करने का ?

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यह क्षेत्र महामृत्यूजय प्रभु त्र्यंबकराज ब्रम्हा, विष्णु, महेश ये तीन देवताओं के स्वरूप है साथ ही इस क्षेत्र को त्रिसंध्या क्षेत्र, श्री. माता सावित्री, माता गायत्री और माता पार्वती अर्थात इन तीन महान शक्तीओं का वास जहा होता है, उस स्थान को त्रिसंध्या क्षेत्र कहते है। यहाँ गोदावरी का उगम स्थान है। यह तपोभूमी है। यहाँ पर गौतम ऋषी ने बहुत खडतर तपचर्या की | यहाँ जो भी शास्त्र के अनुसार श्रध्दा पुर्वक कर्म किया जाता है। वह शीघ्र फलदायी होता है। लाखो श्रध्दालुओं ने इसकी अनुभूति ली है। और अपने जीवन को समृध्द और सफल बनाया है। इसी कारण नारायण नागबली, त्रिपिंडी तथा पितृदोष की विधी श्री क्षेत्र त्रिंबकेश्वर में ही करनी चाहिए ।

त्रिंबकेश्वर को कैसे पहुँचे ?

त्रिंबकेश्वर नाशिक शहर से 28 किलोमीटर और मुंबईसे साधारण 200 किलोमीटर की दुरी पर है। महाराष्ट्र में मुबंई तथा पुणे शहरो से बस, रेल्वे, टॅक्सी तथा प्रायव्हेट वाहन नाशिक शहर की ओर जाने के लिए उपलब्ध है। नाशिक शहर से त्रिंबकेश्वर जाने के लिए बस, रिक्षा, टॅक्सी उपलब्ध है। नाशिक तथा त्रिंबकेश्वर मे भोजन तथा निवासके लिए उत्तम व्यवस्था उपलब्ध है।

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राणवल्लभे

ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थ भिक्षा देहीच पार्वती

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